कोरोना विश्वमारी –महामारी
विश्व में महामारीयों का इतिहास देखें तो ईशा से ४३७ वर्ष पूर्व में हुई महामारी जिसे प्लेग ऑफ़ एथेंस कहा गया था से आरम्भ होता है, चूँकि जो रिकार्डेड है उसका ही जिक्र उचित रहेगा, १६५ ई. में अन्तोनीन प्लेग, २५१ ई. में सैप्रियाँ प्लेग, ५४१ ई. में प्लेग ऑफ़ जुस्तिनियन १६६५ का ग्रेट प्लेग ऑफ़ लन्दन इत्यादि महामारी देखने को मिलती है पर विश्वभर जिसके प्रभाव में आया हो वह विश्वमारी १६१८-१९ में चेचक, १८१९ में हैजा १९१९ में स्पेनी फ्लु जिससे करीब एक तिहाई जनसंख्या प्रभावित हुई थी और विश्व भर में ५ करोड़ लोग की मौत हुई थी | अब २०१९-२० में कोरोना आया है, उपरोक्त महामारियों के वर्ष को देखता हूँ तो सदी के १९ -२० वे वर्ष में ही यह विश्वमारी होती है |
जब कभी आज का इतिहास लिखा जायगा तब कोरोना के कारण विश्वभर में हुए लॉक्ड डाउन की चर्चा अवश्य होगी, ऐसा भय का वातावरण और इस0 महामारी से लड़ने हेतु विश्व भर में तैयारी एवं पूरे विश्व का बंदी बन जाना अकल्पनीय हैं, विश्व में कई साईं फाई सिनेमा बने हैं उपन्यास लिखे गए हैं पर किसी की कल्पना में भी ऐसा नहीं हुआ की पूरा विश्व बंदी बन जाय, हाँ करीब ६ साल पहले एक हास्य टीवी सीरियल जरुर आया था “द लास्ट मैन ओन द अर्थ” इसमें बताया था की डेड बॉडी नाम का एक वायरस पुरे विश्व को समाप्त कर देता है और कुछ मुट्ठी भर लोग ही बचते हैं | कोई सोच सकता है की हास्य सीरियल एक दिन सच होने जा रहा है |
जब मैं गंम्भीरता से सोच रहा था तो मुझे दुर्गा सप्तशती की याद हो आई जिसमे आठवें अध्याय में रक्तबीज नामक एक राक्षस का वर्णन है, बीज हम कहते हैं वह जिससे अनेक उत्पन्न हों, जो मूल हो, रक्त बीज एतक राक्षस है जिसकी रक्त की एक बूंद से एक नया रक्तबीज पैदा हो जाता है, ज्यों ज्यों माँ दुर्गा उसका वध करना चाहती है उसके सर को काटती है तो रक्त की बूंदों के स्पर्श से हजारों रक्तबीज उत्पन्न होते जाते हैं | क्या उस युग में बायोलॉजिकल वार की पुष्ठी होती है, रक्त बीज क्या मेन मेड वायरस था, जो रक्त के स्पर्श से फैलता था, ज्यूँ आज कोरोना स्पर्श मात्र से फ़ैल रहा है, यह बात भी हो रही है की कोरोना का कोविड १९ वायरस मानव निर्मित है जिसे चीन ने युद्ध के लिए विकसित किया था पर यह फ़ैल गया | क्या यह चीन रूपी शुम्भ निशुम्भ का रक्तबीज है | माँ दुर्गा ने इसके वध को फिर काली रूप का धारण कर इसे आयसोलेट किया और इसकी प्रत्येक रक्त की बूंदों को किसी से भी स्पर्श नहीं होने दिया और अपने खप्पर में ले पान कर गयी | कोरोना के वध का भी तो यही उपाय आज दिख रहा है | एक बात यूँ ही ख्याल में आयी ये मान्यता है कि जग्गनाथ जी को वायरल बुखार होता है और उन्हें 14 दिन के लिए अनसार में रखा जाता है क्या यह अनासर ही आइसोलेशन है क्या आज के वैज्ञानिक तथ्य में चली मान्यता का कोई संबंध हो सकता है।
प्रधान मंत्री ने अपने आह्वाहन में इस वायरस को अकय्सोलेट करने की बात कही है, हर व्यक्ति को इस रक्तबीज से अलग होना है, कुछ आवश्यक बातें मैं भी बताना चाहूँगा जो की प्रधान मंत्री एवं सरकारी दिशा निर्देश के साथ आवश्यक हैं,|
१. प्रत्येक घर में काम वाली बाई, पपेर बॉय, दूध वाला इत्यादि आते हैं वे डोर बेल बजाते हैं डोर नॉब को छूते हैं अगर भूल चुक से वे संक्रमित हैं तो वायरस नॉब पर बेल पर आ जायगा अतः आप इसे हर व्यक्ति के आने के बाद सेनिटायिज कीजिये |
२. जैसा की सभी ने कहा अनावश्यक बाहर न निकलें, इस वायरस के चैन को हमे तोडना है तभी रक्तबीज का वध होगा, अतः घर में रह कर हो सके तो दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों का पथ कीजिये इसमें गजब की उर्जा है और यह सकारात्मक वेव्स प्रसारित करती हैं न हो तो ॐ का पाठ भी ठीक होगा |
जघान रक्तबीजं तं चामुंडापीतशोणितं | स पपात महिपृष्ठे शस्त्रसंघसमाहतः |
मैंने दुर्गा स्वरुप कुल देवी जीणमाता का रक्षा स्त्रोत्र संस्कृत में भुजंगप्रयत एवं अनुष्ठभ छंद में लिखा है उसका भी पाठ करने से आपदा दूर होती है| अगर किसी मित्र को चाहिए तो संपर्क कर सकते हैं।
३. ज्यादा समाचार देखने से पढने से अनावश्यक माथे पर दबाब पड़ता है और अफवाह से भय, अतः सोशल दुरी के साथ सोशल मीडिया से भी दूरी रखना उचित होगा | क्योंकि आजकल व्हात्सप्प और फेसबुक पर जितने ज्ञान मिलते हैं उतने बड़े बड़े रिसर्चर भी नहीं दे सकते |
अतः भय मुक्त होकर कम से कम आने वाले दो तीन सप्ताह आप अपनी जिंदगी जियें अपने परिवार के साथ समय बिताएं आपको बहुत शांति मिलेगी, आप भी देख पाएंगे की परिवार से जुड़ने का कितना फायदा है |
नमन |
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